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*डॉ. लैरिंग्स हियरिंग एंड स्पीच थैरेपी क्लिनिक ने मनाया विश्व श्रवण दिवस**स्पीच थैरेपी से लाभान्वित बच्चों ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियां, अभिभावकों ने भी निभाई भागीदारी**हियरिंग लॉस से ग्रसीत बच्चों को कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी से मिल रहा नया जीवन : डॉ. गौरव गुप्ता**वर्चुअल ऑटिज्म पर ध्यान देने की जरूरत :

डॉ. सोनिया गुप्ता**हियरिंग लॉस एवं इसके उपचार को लेकर आमजन को जागरूक करना जरूरी : विनय थानवी***स्पीच थैरेपी और नियमित अभ्यास से बच्चों को मुख्यधारा में लाना आसान : डॉ. कौशल शर्मा**बीकानेर, 2 मार्च।* जयपुर रोड़ स्थित डॉ. लैरिंग्स हियरिंग एवं स्पीच थैरेपी क्लिनिक में रविवार को विश्व श्रवण दिवस मनाया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज के ईएनटी विभागाध्यक्ष डॉ. गौरव गुप्ता, स्त्री एवं प्रसूती रोग विशेषज्ञ डॉ. सोनीया गुप्ता तथा आईटी विशेषज्ञ विनय थानवी रहे। डॉ. लैरिंग्स क्लिनिक के निदेशक तथा श्रवण एवं वाणी विशेषज्ञ डॉ. कौशल शर्मा (ऑडियोलॉजिस्ट) ने बताया कि डॉ. लैरिंग्स क्लिनिक वर्ष 2016 से हियरिंग लॉस से ग्रसीत बच्चों एवं कॉक्लियर सर्जरी करवा चुके बच्चों को स्पीच थैरेपी करवा रहे है इसके साथ साथ श्रवण वाणी विशेषज्ञ डॉ. सागरिका नंदा के मार्गदर्शन में इन बच्चों को मुख्यधारा में लाने के लिए विशेष अध्यापन का कोर्स भी करवाया जा रहा है। सेण्टर में उपचार प्राप्त कर रहे बच्चों एवं उनके अभिभावकों के लिए 3 मार्च को मनाए जा रहे विश्व श्रवण दिवस से पूर्व एक सांस्कृतिक एवं जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. गौरव गुप्ता ने अभिभावकों को संबोधित करते हुए कहा कि आप सभी भाग्यशाली माता पिता है और बच्चे भी भाग्यशाली है कि विज्ञान की तरक्की के साथ साथ हियरिंग लॉस और स्पीच थैरेपी का आधुनिक उपचार मिल रहा है आपके एफर्ट्स से हियरिंग लॉस बच्चे भी आम बच्चों की तरह पढ लिखकर एक मुकाम हासिल कर पा रहे है, डॉ. गुप्ता ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि आज से दस वर्ष पहले तक भी हियरिंग लॉस से ग्रसीत बच्चों को मुख्यधारा में लाना एक मुश्किल टास्क होता था। अब माता पिता भी जागरूक हो रहे है । कार्यक्रम के दौरान डॉ. सोनीया गुप्ता ने अभिभावकों को वर्चुअल ऑटिज्म से सर्तक रहने की सलाह दी।

डॉ. सोनीया गुप्ता ने कहा कि वर्चुअल ऑटिज़्म एक ऐसी स्थिति है जिसमें बच्चे के ज़्यादा समय स्क्रीन पर बिताने की वजह से ऑटिज़्म जैसे लक्षण दिखने लगते हैं. यह आम तौर पर तीन साल से कम उम्र के बच्चों में होता है. अतिथि उद्बोधन के क्रम में आईटी एवं जनसंपर्क विशेषज्ञ विनय थानवी ने कहा कि आप सभी अभिभावक अपने बच्चों के लिए बेहतर उपचार प्राप्त कर रहे है इसलिए आपकी जिम्मेदारी बनती है कि आपके आस पास हियरिंग लॉस से जुड़े बच्चों को पहचान कर उनके उपचार हेतु सर्वसमाज में जागरूकता फैलाने का कार्य भी करें। इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन हुआ जिसमें स्पीच थैरेपी लेने वाले बच्चों ने कविता लोकगीत आदि सुनाए एवं लोकगीतों पर डांस किया।

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